नागरिक संशोधन बिल 2019 (CAB)
नागरिक संशोधन बिल 2019 (CAB)
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लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया है और अब राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह बिल कानून बन जाएगा।
राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि इसके विरुद्ध 105 सदस्यों ने वोट किए।इस बिल के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर भारतीय शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।
यह बिल पहली बार 2016 में संसद में प्रस्तुत किया गया था लेकिन उस समय यह बिल पास नहीं हो पाया। 8 जनवरी 2019 को भी यह बिल लोकसभा से पास हो गया था लेकिन 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण यह रद्द हो गया।
बिल का उदेश्य
इस बिल का उद्देश्य हिंदू, ईसाई ,जैन, बौद्ध ,सिक्ख और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देना है।इस बिल में मुसलमान समुदाय के लोगों को शामिल नहीं किया गया है।इसीलिए इस बिल का कई जगह पर विरोध हो रहा है और इसे गैर संवैधानिक भी बताया जा रहा है।
इस बिल के जरिए मौजूद कानून में परिवर्तन किया जाएगा ताकि इन 6 समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सके। मौजूदा कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को भारत की नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना जरूरी है।नागरिकता विधायक के अंदर पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह अवधि 11 से घटाकर 6 वर्ष कर दी गई है।
इस विधेयक के अनुसार नागरिकता अधिनियम 155 में कुछ बदलाव किए जाएंगे ताकि इन अल्पसंख्यको को कानूनी तौर पर भारतीय की नागरिकता दी जा सके।
मौजूदा कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गैर कानूनी तरीके से भारत में घुसता है तो उसे भारत की नागरिकता नहीं दी जा सकती। ऐसा करने पर उस व्यक्ति को अपने देश भेज दिया जाएगा या उसके लिए सजा का भी प्रावधान है।
इस बिल के पास होने के बाद अब 31 दिसंबर 2014 के बाद या उससे पहले से भारत में रहने वाले गैर भारतीय लोगों नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
नागरिकता संशोधन बिल में कुछ और बातों पर भी ध्यान दिया गया है जिससे लोगों की पहचान की जा सके जिन्हें भारतीय नागरिकता देने की बात कही जा रही है।
बिल में यह भी कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति पर भारत में अवैध तरीके से घुसने के संदर्भ में कोई कानूनी कार्रवाई चल रही है तब भी व्यक्ति के स्थाई नागरिक बनने के आवेदन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इस बिल के अनुसार नैसर्गिक नागरिकता के लिए अप्रवासी तभी आवेदन कर सकता है या तो वह पिछले 12 महीनों से भारत में रह रहा हो या पिछले 14 सालों में से 11 साल भारत में रहा हो।
ओसीआई कार्ड धारक यानी कि वह व्यक्ति जो विदेशों में रह रहे हैं यदि वह इस बिल का उल्लंघन करते हैं तो केंद्र सरकार के पास होगा उनका ओसीआई कार्ड रद्द करने का।
किन राज्यों में लागू नहीं होगा
अरुणाचल प्रदेश नागालैंड और मिजोरम को इस बिल से पूरी तरह से अलग रखा गया है। जबकि त्रिपुरा ,असम और मेघालय के कुछ हिस्सों में ही यह बिल लागू किया जाएगा।
विरोध का कारण
इस बिल के विरोध का एक कारण यह भी है कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 में समानता के अधिकार का वर्णन किया गया है। इस बिल में नागरिकता पाने के लिए धर्म को आधार बनाया गया है। इसलिए कई राजनीतिक दल और व्यक्ति इस बिल को संविधान विरोधी बता रहे हैं और इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं।
पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इस बिल का जोरदार विरोध हो रहा है क्योंकि उन्हें डर है कि बंगलादेश से अवैध तरीके से कई हिंदुओं ने भारत में प्रवेश किया है अब उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी।
इस बिल में पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये अल्पसंख्यको को हि शामिल किया गया है जबकि बाकी पड़ोसी देशो को जैसे नेपाल, भूटान, म्यांमार आदि को इस बिल में शामिल नहीं किया गया है जो भी विरोध का एक कारण है।
क्या कहा गृहमंत्री ने
गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार पिछले कुछ दशकों में पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या में काफी कमी आई है। साथ ही साथ उनके साथ बहुत ज्यादा उत्पीड़न भी हुआ है। यह विधायक इन्हीं अल्पसंख्यकों के लिए है। गौरतलब है कि भारतीय पड़ोसी देशों में मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं है इसीलिए उन्हें इस बिल के अंदर शामिल नहीं किया गया है। अमित शाह के अनुसार इस बिल का उद्देश्य मुसलमानों के साथ भेदभाव करना नहीं है मुसलमान भारत का नागरिक है और हमेशा रहेगा।